हमारा सूरत न सिर्फ टैक्सटाइल और डायमंड के कारोबार का चमकता सितारा है बल्कि सामरिक दृष्टि से भी देश के लिए अहम योगदान देने जा रहा है। सूरत के हजीरा में एलएंडटी कंपनी सबसे अत्याधुनिक प्रणाली के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी युद्धक टैंक भी तैयार कर रही है।
ये टैंक देश की सरहदों पर तैनात होकर उसे महफूज रखने और जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम होंगे। यहां से 100 यूनिट खेप की आपूर्ति के लक्ष्य का 81% काम पूरा भी हो चुका है। बता दें कि इसी साल जनवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने के-9 वज्र टैंक को हजीरा में हरी झंडी दिखाई थी।
के-9 वज्र की पहली रेजीमेंट इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। बता दें कि 50 प्रतिशत से ज्यादा रॉ मटेरियल देसी ही है। के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी को नवंबर 2018 में सेना में शामिल किया गया था। के-9 वज्र दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे के-9 थंडर जैसे हैं। इससे पहले आखिरी बार भारतीय सेना में बोफोर्स तोप को शामिल किया गया था।
47 किलो के गोले 43 किमी दूर दाग सकता है
के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी वाले इस एक टैंक का वजन 47 टन है, जो 47 किलो के गोले 43 किमी की दूरी तक दाग सकता है। यह स्वचालित तोप शून्य त्रिज्या पर भी घूम सकती है। डायरेक्ट फायरिंग में एक किमी दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम है। किसी भी मौसम में काम करेगा। लंबाई 12 मीटर है और ऊंचाई 2.73 मीटर है। इस टैंक में चालक के साथ पांच लोग सवार हो सकते हैं।
100 के लिए करार
रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 2017 में के-9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट आपूर्ति के लिए 4,500 करोड़ रुपए का करार किया था।
सबसे बड़ा सौदा
केंद्र द्वारा किसी निजी कंपनी को दिया गया यह सबसे बड़ा सौदा है। 42 महीनों में 100 यूनिट की आपूर्ति होनी है। एलएंडटी साउथ कोरिया की हानवा टेकविन के साथ मिलकर यह टैंक बना रही है।
यादगार लोकार्पण
19 जनवरी 2020 को पीएम मोदी ने हजीरा एलएंडटी में तैयार सेना के लिए सबसे शक्तिशाली के-9 वज्र टैंक देश को समर्पित किया। इसके बाद खुद प्रधानमंत्री ने इस टैंक की सवारी कर इसका जायजा भी लिया।
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